"ख़ुद से ख़ुद तक – एक काव्यात्मक यात्रा" लेखक: गौरव यह पुस्तक सिर्फ़ कविताओं का संग्रह नहीं है — यह जीवन से जुड़ने, उसे समझने और बेहतर ढंग से जीने की एक आत्मीय कोशिश है। जो लोग अपने भीतर की आवाज़ को सुनना चाहते हैं, जो उलझनों में हैं, जो फिर से मुस्कुराना चाहते हैं — उनके लिए यह किताब एक साथी की तरह है। ख़ुशी, साहस, आत्म-प्रेम, अवसाद, उम्मीद, डर जैसे जज़्बातों को गौरव ने बेहद सहज और असरदार कविताओं के ज़रिए शब्द दिए हैं। हर अध्याय एक भाव पर केंद्रित है, जिसमें कुछ कविताएँ होती हैं — और उनके बाद कुछ शब्द जो बताते हैं कि इन भावों से हम कैसे बेहतर रूप से जुड़ सकते हैं। यह अपनी तरह की पहली हिंदी पुस्तक है जो कविता को जीवन-दर्शन से जोड़ती है। इसे पढ़ना, खुद को समझने जैसा है। गौरव की कविताएँ पहले ही इंस्टाग्राम पर लाखों लोगों को छू चुकी हैं — और यह किताब उसी शैली का विस्तार है, लेकिन और भी गहराई के साथ। यह किताब आपको ज़िंदगी से प्यार करना सिखाएगी, जीने के छोटे-छोटे लेकिन ज़रूरी पहलुओं पर रोशनी डालेगी — और वो भी बेहद सरल और भावनात्मक भाषा में। इस किताब का सार है — अपने आप से जुड़ाव, खुद को समझना और जीवन को स्वीकारना। हर कविता के बाद दिए गए कुछ छोटे सुझाव और विचार, आपको खुद के और क़रीब ले जाएँगे। गौरव को हाल के दिनों में कई पाठकों ने अपने जीवन के अनुभव बाँटते हुए उनसे मार्गदर्शन माँगा है — और यह किताब उस संवाद की शुरुआत है। एक ऐसी किताब जो आपके मन की बात कहती है, और दिल से दिल तक पहुँचना जानती है।