पनडुब्बियाँ – एक अनदेखी गहराई से उभरती कविताएँ देवेन्द्र अहिरवार की कविताएँ किसी स्वाभाविक नदी की तरह हैं—अपनी राह खुद बनाती, अविरल बहती हुई। उनकी रचनाएँ मानवीय समाज की विषमताओं और विभाजनों के विरुद्ध उठी हुई कोमल, लेकिन दृढ़ मुट्ठियों जैसी हैं। चाहे वह प्रेम हो या विरह, अन्याय हो या विद्रोह, उनकी कविताएँ जीवन के हर रंग को सहजता से समेटती हैं। ‘पनडुब्बियाँ’ सिर्फ़ कविता संग्रह नहीं, बल्कि एक यात्रा है—जो विचारों को आंदोलित करती है, संवेदनाओं को गहराई से छूती है और आपको भीतर तक झकझोरने की ताकत रखती है। क्या आप तैयार हैं इस गहराई में डुबकी लगाने के लिए?