फफूंद, एक ऐसा ही गुलदस्ता है जिसे कविताओं की फसल से बनाया गया है। इस किताब में आपको प्रेम में डाल देने वाले सरसों के पीले फूल भी मिलेंगे और आपकी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के लिए बाजरे के बीज भी। पेट की भूख को मिटाने से कई ज्यादा कठिन है मन के कौतूहल का जवाब तलाशना। और 'फफूंद' कविताओं का एक ऐसा गुच्छा है, जिसकी महक आपके मन को इंसान होने के अहसास की तरफ़ खींचकर ले जाएगी। प्रशांत सागर जी ने एक ईमानदार किसान की तरह इस किताब की हर कविता को प्रेम, धैर्य और विद्रोह से सींचा है। प्रस्तुत है "फफूंद"—एक कविता संग्रह, जो बिल्कुल अपने नाम जैसा ही है। आप जैसे ही इस किताब को पढ़ना शुरू करेंगे, यह बहुत धीरे और गहरे तरीके से अपनी कविताओं से आपको पूरी तरह ढक लेगी। - अमनदीप सिंह (कहानीकार)