
निर्मला (Nirmala) Book by Premchand
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निर्मला मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक सामाजिक उपन्यास है, जो भारतीय समाज में दहेज प्रथा, विधवा जीवन, असमान विवाह और स्त्री-पीड़ा जैसे गंभीर विषयों को बेहद सजीव रूप से प्रस्तुत करता है। यह कहानी एक ऐसी युवती की है जिसकी शादी उससे कहीं अधिक उम्र के विधुर व्यक्ति से कर दी जाती है — सिर्फ दहेज के अभाव के कारण।
निर्मला की ज़िंदगी एक त्रासदी बन जाती है, जहाँ न वह पत्नी बन पाती है, न माँ, और न ही अपने अधिकारों की रक्षा कर पाती है। उपन्यास उन सामाजिक बुराइयों को बेनकाब करता है, जो एक स्त्री के जीवन को दुखों से भर देती हैं।
प्रेमचंद की लेखनी में यथार्थ की तीव्रता और मानवीय भावनाओं की गहराई स्पष्ट दिखाई देती है। निर्मला न सिर्फ एक स्त्री की पीड़ा की कहानी है, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज़ भी है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना अपने समय में था।
यह उपन्यास हर उस पाठक को पढ़ना चाहिए जो साहित्य के माध्यम से समाज को समझना चाहता है।