प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण सामाजिक उपन्यास है, जो विधवा पुनर्विवाह जैसे उस समय के अत्यंत विवादास्पद और संवेदनशील विषय पर आधारित है। यह उपन्यास समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढ़ियों और महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध एक साहसी और प्रेरणादायक स्वर है।
कहानी का नायक गोविन्द एक शिक्षित, आदर्शवादी युवक है जो समाज सुधार की भावना से ओतप्रोत है। वह एक विधवा स्त्री से विवाह करने की प्रतिज्ञा करता है, जिससे समाज में जागरूकता फैले और विधवाओं को नया जीवन जीने का अधिकार मिल सके। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से दिखाया है कि सच्चा सुधार सिर्फ उपदेशों से नहीं, बल्कि निजी उदाहरण और हिम्मत से संभव है।
प्रतिज्ञा नारी-सम्मान, सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए लिखा गया एक प्रेरणादायक उपन्यास है, जो आज भी अपने विचारों और दृष्टिकोण के लिए प्रासंगिक है।
अगर आप प्रेमचंद के साहित्यिक दृष्टिकोण और सामाजिक सरोकारों को समझना चाहते हैं, तो प्रतिज्ञा अवश्य पढ़ें।