‘रसीदी टिकट’ अमृता प्रीतम की बहुचर्चित आत्मकथा है, जो बताती है कि उन्हें नफरत के दायरे पर तरस आता है; उन्हें विभाजन ने बुरी तरह प्रभावित किया था, जिससे ’वारिस शाह’ जैसी कविता की रचना हुई। उनकी यह आत्मकथा बताती है कि रचनाकार को कैसे अपनी आलोचना की परवाह नहीं करनी चाहिए, चाहे जमाना बैरी हो जाए। साहिर से करीबी और इमरोज़ से गहरी दोस्ती के बीच के वाकये को भी अमृता ने खूबसूरती से सामने रखा है। इस किताब को पढ़ना एक ऐसे बुखार से गुजरना है, जो आपको नायिका की जिंदगी की हर सच्चाई से रूबरू करा देता है।.