Samajh Gaye Ya Samjhaun । समझ गए या समझाऊँ [ राहगीर ]
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Samajh Gaye Ya Samjhaun । समझ गए या समझाऊँ [ राहगीर ]

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Description

राहगीर अपने कबीरीयत के लिए पहचाने जाते हैं। राहगीर ने अपनी कविताई और गायकी के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों तथा विडंबनाओं पर कुठाराघात किया है। ‘समझ गए या समझाऊँ?’ राहगीर का दूसरा कविता-संग्रह है जिसमें कवि का चिर-परिचित तेवर मौजूद है।

Samajh Gaye Ya Samjhaun । समझ गए या समझाऊँ [ राहगीर ]