![Samajh Gaye Ya Samjhaun । समझ गए या समझाऊँ [ राहगीर ]](https://ecom-uploadfiles.s3.ap-south-1.amazonaws.com/1753614157497.jpg)
Click to zoom
Samajh Gaye Ya Samjhaun । समझ गए या समझाऊँ [ राहगीर ]
₹187₹249
You save ₹62 (25% off)
In Stock
Quantity
1
Description
राहगीर अपने कबीरीयत के लिए पहचाने जाते हैं। राहगीर ने अपनी कविताई और गायकी के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों तथा विडंबनाओं पर कुठाराघात किया है। ‘समझ गए या समझाऊँ?’ राहगीर का दूसरा कविता-संग्रह है जिसमें कवि का चिर-परिचित तेवर मौजूद है।