
राहगीर की 3 किताबों का कोम्बो (समझ गए या समझाऊँ - कैसा कुत्ता है - आहिल ) Rahgir books
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Description
राहगीर काव्य और कथा संग्रह (3 पुस्तकों का विशेष कॉम्बो)
कैसा कुत्ता है! | समझ गए या समझाऊँ? | आहिल
लेखक: राहगीर
यह कॉम्बो संग्रह कवि, गायक और घुमक्कड़ कलाकार राहगीर की तीन विशेष कृतियों को एक साथ समेटता है — जिनमें समाज की विसंगतियों, मानवीय संवेदनाओं और अस्तित्व की तलाश की गूंज सुनाई देती है।
1. कैसा कुत्ता है!
राहगीर की कविताओं का पहला संग्रह — इसमें उनके चर्चित गीतों के साथ-साथ वे कविताएँ भी हैं, जो आज तक कहीं प्रकाशित नहीं हुईं। यह संग्रह उनके कबीरीय तेवर, विद्रोही सोच और सहज लोकभाषा के मेल से बना एक अनूठा अनुभव है।
2. समझ गए या समझाऊँ?
यह उनका दूसरा कविता-संग्रह है, जिसमें समाज पर तीखी टिप्पणियाँ, व्यंग्य और ज़िंदगी की जटिलताओं पर सरल लेकिन धारदार कविताएँ शामिल हैं। यह किताब राहगीर के भीतर बसे आलोचक और दार्शनिक को सामने लाती है।
3. आहिल
राहगीर का पहला उपन्यास — एक गाँव के लड़के आहिल की कहानी, जो दुनिया को देखने और समझने की एक अलग दृष्टि रखता है। यह उपन्यास बचपन की मासूम जिज्ञासाओं से लेकर सामाजिक विद्रूपताओं तक की एक गहरी यात्रा है। आहिल के ज़रिए राहगीर आपको एक ऐसी दुनिया दिखाते हैं, जो आपकी अपनी दुनिया से बिलकुल अलग है।
तीनों किताबें मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं जो न केवल पढ़ने योग्य है, बल्कि महसूस करने योग्य भी है।
अगर आप कविता और कथा में समाज, सवाल और संवेदना की खोज करते हैं — तो यह कॉम्बो आपके लिए अनमोल है।