
गुलामगिरी (Gulamgiri) Book by - Jyotirao Govindrao Phule
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ज्योतिराव गोविंदराव फुले (11 अप्रैल 1827 - 28 नवंबर 1890) एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, दलितों के हित में काम करने वाले और महाराष्ट्र के एक प्रमुख जातिविरोधी समाज सुधारक तथा लेखक थे। उन्होंने हिंदू समाज में ब्राह्मणों की भूमिका की आलोचना की और आरोप लगाया कि ब्राह्मणों ने निम्न जातियों को दबाए रखने के लिए साजिश रची है। अपनी पुस्तक 'गुलामगिरी' में उन्होंने ईसाई मिशनरियों और ब्रिटिश शासकों को खुले तौर पर धन्यवाद दिया कि उन्होंने निम्न जातियों को यह महसूस कराया कि वे भी सभी मानवाधिकारों के अधिकारी हैं। उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी यह पुस्तक 'गुलामगिरी' — जो कि महिलाओं, जाति व्यवस्था और समाज सुधार पर एक महत्वपूर्ण कृति है — अफ्रीकी-अमेरिकी दासता विरोधी आंदोलन को समर्पित की थी। उनके अखंड पाठ मराठी वर्कारी संत तुकाराम की अभंग रचनाओं से स्वाभाविक रूप से जुड़े हुए थे।