Hazaaron Khwahishen (हज़ारों ख़्वाहिशें)  by Rahul Chawla
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Hazaaron Khwahishen (हज़ारों ख़्वाहिशें) by Rahul Chawla

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Description

हज़ारों ख़्वाहिशें, इश्क़ और इंक़लाब की एक हैरत अंगेज़ दास्तान है। एक तरह का मॉडर्न एपिक, जिसमें अल्हड़-सी मोहब्बत है, इंक़लाब के शोले हैं, लेफ़्ट-राइट का झमेला है, 90s का नॉस्टैल्जिया है, राजनीतिक बहसबाज़ी है और उन सबके बीच है कास्ट पॉलिटिक्स की धमक। यह उपन्यास मुखर्जी नगर में IAS की तैयारी कर रहे दोस्तों की कहानी ही नहीं कहता, बल्कि आईएएस बनने के पीछे की सोच, आईएएस बनने के लिए दी जाने वाली क़ुर्बानी और तैयारी के बीच की फ्रस्ट्रेशन भी बयाँ करता है। अपन ख़्वाहिशों के लिए जी-जान लगा देने वाले नौजवान इस कहानी के पात्र हैं, जो दिल्ली को और उसकी पॉलिटिक्स को अपनी नज़र से देखते हैं। ये पात्र देश में घटित घटनाओं से प्रभावित होते हैं और उसी के साथ कहानी नये मोड़ लेती रहती है। इन सबके साथ बहुत से फ़िल्मी और साहित्यिक रेफ़रेंस पॉइंट्स भी इस कहानी में शामिल हैं, जो कहानी को न सिर्फ़ मनोरंजक बनाते हैं, बल्कि नये आयाम भी देते हैं। यह हिंदी लेखन में एक नये तरह का एक्सपेरिमेंट है। कहानी के भीतर ढेर सारी परते हैं। कहीं सेल्फ़ रिफ्रेंशियेलिटी, कहीं पोस्ट मॉडरनिस्म, तो कहीं कॉफ़्किस्क एलीमेंट। पर सबसे आकर्षित करने वाली बात है, इस कहानी का फ़िल्मी अंदाज़ में कहा जाना।