
गबन (Gaban) - Hindi - Premchand
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'गबन' मुंशी प्रेमचंद द्वारा 1931 में लिखा गया एक हिंदी उपन्यास है। इस उपन्यास के माध्यम से प्रेमचंद ने ब्रिटिश भारत के दौर में निम्न मध्यमवर्गीय भारतीय युवाओं में गिरती नैतिकता को उजागर करने की कोशिश की है। यह उपन्यास दर्शाता है कि एक व्यक्ति किस हद तक जा सकता है, केवल समाज के उच्च वर्ग में स्थान पाने और एक अमीर व्यक्ति की झूठी छवि बनाए रखने के लिए।
यह कहानी रमनाथ नाम के एक सुंदर, भोगप्रिय, डींगमार लेकिन नैतिक रूप से कमजोर व्यक्ति की है, जो अपनी पत्नी जलपा को खुश करने के लिए उसे ज़ेवर उपहार में देना चाहता है — जिन्हें वह अपनी मामूली तनख्वाह से खरीदने में असमर्थ है। इसी प्रयास में वह कर्ज़ के जाल में फँसता चला जाता है और अंततः गबन (हेराफेरी) जैसे अपराध को अंजाम देने के लिए मजबूर हो जाता है।
'गबन' को 'गोदान' के बाद प्रेमचंद की सबसे बेहतरीन रचनाओं में गिना जाता है।