सेवासदन एक स्त्री के आत्म-संघर्ष, सामाजिक बंधनों और नैतिक चेतना की कहानी है। मुख्य पात्र सुमन एक उच्च मध्यमवर्गीय महिला है, जो अपने पति के साथ असंतोषपूर्ण जीवन बिताती है। विवाह में प्रेम और सम्मान की कमी उसे एक ऐसे रास्ते पर ले जाती है, जहाँ वह कोठे पर पहुंच जाती है। लेकिन वहीं से उसकी आत्मचेतना की यात्रा शुरू होती है।
सुमन का जीवन करवट लेता है जब वह समाज की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने का निर्णय लेती है और एक 'सेवासदन' (स्त्रियों के लिए आश्रय और सेवा केंद्र) से जुड़ जाती है।
इस उपन्यास में प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, स्त्रियों की दुर्दशा, नैतिक दोहरापन और धार्मिक आडंबरों पर तीखा प्रहार किया है।