बेहया (Behaya) by Vineeta Asthana
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बेहया (Behaya) by Vineeta Asthana

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Description

हमारे देश में शादी और प्यार पर ल की बड़ी छाप है। लेकिन असल ज़िन्दगी सुनहरे परदे की कहानियों से बहुत अलग होती है। कई बार राम-रावण अलग-अलग नहीं होते बल्कि वक़्त और हालात के साथ एक ही व्यक्ति किरदार बदलता रहता है। ‘बेहया’ कहानी है सिया और यश की कामयाब और खूबसूरत ज़िन्दगी की। यह कहानी है रूढ़िवादी सोच से उपजे शक़ और बंधनों की। यह कहानी है उत्पीड़न और डर के साये में जीने वाले मुस्कुराते और कामयाब चेहरों की। यह कहानी है समाज के सामने सशक्त दिखने वालों की मजबूरी और उदारता का जामा ओढ़े हैवानों की भी। बार-बार कहने पर, देखने पर भी जो बातें जीवनसाथी नहीं समझ पाते; कैसे वही दर्द और टीस एक अनजान व्यक्ति बस आवाज़ सुनकर समझ जाता है? कैसे मुस्कुराते चेहरे के पीछे की उदासी को वह पल भर में भाँप लेता है? आत्माओं के कनेक्शन से उपजे कुछ खूबसूरत रिश्ते समाज के बंधनों से परे होते हैं। ‘बेहया’ कहानी है सिया और अभिज्ञान के इसी अनकहे, अनजान और अनगढ़े रिश्ते की।.